Vastu Tips: भारतीय संस्कृति में दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। माना जाता है कि घर में दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है और वातावरण शुद्ध होता है। घर के मंदिर या पूजा स्थल में रोज दीपक जलाने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार दीपक जलाते समय उसकी दिशा पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। अगर गलती से गलत दिशा में दीपक रखा जाए तो इसके उल्टे असर भी हो सकते हैं।
दीपक जलाने का महत्व
वास्तु शास्त्र कहता है कि घर की दक्षिण दिशा में जलता हुआ दीपक कभी नहीं रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना गया है। इस तरफ दीपक रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
इससे परिवार के लोग मानसिक तनाव और चिंता महसूस कर सकते हैं। इतना ही नहीं, माना जाता है कि दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से आर्थिक नुकसान भी हो सकता है और घर का सुख-शांति भंग हो सकती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिशा में कोई भी शुभ काम करना या दीपक जलाना अशुभ परिणाम देता है।
दक्षिण दिशा में दीपक क्यों नहीं जलाना चाहिए?
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में हमेशा धन, सुख और समृद्धि बनी रहे, तो दीपक जलाने के लिए उत्तर दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है। वास्तु के अनुसार, उत्तर दिशा को धन के देवता भगवान कुबेर की दिशा माना जाता है।
इस तरफ दीपक जलाने से घर में धन की कमी नहीं होती और परिवार पर भगवान कुबेर का आशीर्वाद बना रहता है।
दीपक जलाने के वास्तु नियम
- दीपक हमेशा घी या तिल के तेल से जलाना चाहिए।
- घर के मंदिर या पूजा स्थल में दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है।
- जलते हुए दीपक को कभी भी अधजला या बिना ध्यान दिए नहीं छोड़ना चाहिए।
- दीपक की लौ हमेशा साफ़ और स्थिर होनी चाहिए।
FAQs – दीपक जलाने से जुड़े सवाल
घर में दीपक किस दिशा में जलाना चाहिए?
दीपक जलाने के लिए उत्तर दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। यह दिशा धन और समृद्धि की प्रतीक है।
दीपक जलाने के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा है?
वास्तु के अनुसार, ख़ालिस घी और तिल का तेल दीपक जलाने के लिए सबसे शुभ माना गया है।
क्या दक्षिण दिशा में दीपक जलाना अशुभ है?
हां, दक्षिण दिशा में दीपक रखना अशुभ माना जाता है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा और आर्थिक परेशानी बढ़ सकती है।
क्या रोज दीपक जलाना जरूरी है?
हां, रोजाना शाम को घर के मंदिर या पूजा स्थल में दीपक जलाना शुभ माना गया है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
