Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में यह शुभ अवसर 12 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप भैरव बाबा की उपासना का होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने काल भैरव के रूप में अवतार लिया था।
इस खास दिन पर भक्तजन काल भैरव अष्टकम का पाठ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भय, नकारात्मकता और दुखों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सफलता, सुख और समृद्धि का मार्ग खुलता है।
Kaal Bhairav Jayanti 2025: बाबा काल भैरव अष्टकम के चमत्कारी श्लोक
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं|
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥1॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥2॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥3॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥4॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥5॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥6॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥7॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥8॥
काल भैरव अष्टकम पाठ विधि
काल भैरव अष्टकम का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करने से इसके फल कई गुना बढ़ जाते हैं:
सही समय पर पाठ करें
अष्टमी के दिन ब्रहम मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या रात 11 बजे के बाद अष्टकम का पाठ करना सबसे शुभ माना जाता है।
पवित्र मन और शरीर से पूजा करें
नहाने के बाद काले या लाल वस्त्र पहनें और भगवान काल भैरव की तस्वीर या मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
जप से शुरुआत करें
अष्टकम शुरू करने से पहले ‘ॐ भैरवाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।
पूरी श्रद्धा से करें पाठ
अष्टकम का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें। आखिरी श्लोक पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह पूरे स्तोत्र का सार माना गया है।
काल भैरव अष्टकम पाठ के चमत्कारी लाभ
शनि, राहु और केतु के दुष्प्रभाव से मुक्ति
जिन लोगों की कुंडली में शनि, राहु या केतु का कष्ट है, उनके लिए यह स्तोत्र बेहद लाभकारी माना गया है।
भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
काल भैरव अष्टकम का पाठ तांत्रिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावशाली है। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाता है।
धन और व्यापार में वृद्धि
नियमित पाठ करने से व्यवसाय में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
भय और मृत्यु का नाश
यह स्तोत्र भय को समाप्त करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।
मोक्ष और आत्मिक शांति की प्राप्ति
अष्टकम के पाठ से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में मानसिक शांति आती है।
